जमशेदपुर ᱡᱟᱢᱥᱮᱫᱽᱯᱩᱨ | |||||||||
— शहर — | |||||||||
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |||||||||
देश | भारत | ||||||||
राज्य | झारखंड | ||||||||
उपायुक्त | सूरज कुमार | ||||||||
सांसद | बिद्युत बरन महतो | ||||||||
जनसंख्या • घनत्व |
19,82,988 (2001 के अनुसार ) • 3,173/किमी2 (8,218/मील2) | ||||||||
क्षेत्रफल | 625 km² (241 sq mi) | ||||||||
विभिन्न कोड
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आधिकारिक जालस्थल: jamshedpur.nic.in |
निर्देशांक: 22°48′N 86°18′E / 22.8°N 86.30°E
जमशेदपुर जिसका दूसरा नाम टाटानगर भी है, भारत के झारखंड राज्य का एक शहर है। यह झारखंड के दक्षिणी हिस्से में स्थित पूर्वी सिंहभूम जिले का हिस्सा है। जमशेदपुर की स्थापना को पारसी व्यवसायी जमशेदजी नौशरवान जी टाटा के नाम से जोड़ा जाता है। १९०७ में टाटा आयरन ऐंड स्टील कंपनी (टिस्को) की स्थापना से इस शहर की बुनियाद पड़ी। इससे पहले यह साकची नामक एक आदिवासी गाँव हुआ करता था। यहाँ की मिट्टी काली होने के कारण इसे कालीमाटी भी कहा जाता था, तथा टाटानगर रेलवे स्टेशन का नाम पहले कालीमाटी रेलवे स्टेशन रखा गया था। खनिज पदार्थों की प्रचुर मात्रा में उपलब्धता और खरकई तथा सुवर्णरेखा नदी के आसानी से उपलब्ध पानी, तथा कोलकाता से नजदीकी के कारण यहाँ आज के आधुनिक शहर का पहला बीज बोया गया। यह भारत का पहला नियोजित औद्योगिक शहर है।
जमशेदपुर आज भारत के सबसे प्रगतिशील औद्योगिक नगरों में से एक है। टाटा घराने की कई कंपनियों के उत्पादन इकाई जैसे टिस्को, टाटा मोटर्स, टिस्कॉन, टिन्पलेट, टिमकन, ट्यूब डिवीजन, इत्यादि यहाँ कार्यरत है।
1919 में लॉर्ड चेम्सफोर्ड ने शहर का नाम जमशेदपुर के संस्थापक जमशेदजी नौसरवानजी टाटा के सम्मान में बदल दिया, जो मूल रूप से साकची था। टाटा ने अपने बेटे दोराबजी टाटा को क्षेत्र में एक महान शहर के अपने दृष्टिकोण के बारे में लिखा था। 3 मार्च को स्थापना दिवस पर, 225-एकड़ (0.91 किमी 2) में जुबली पार्क को लगभग एक सप्ताह के लिए शानदार रूप से सजाया जाता है।
संभावित भविष्यवक्ता सीएम वेल्ड, दोराबजी टाटा और शापुरजी सकलतवाला को स्टील प्लांट के लिए एक स्थान खोजने के लिए दुर्गम इलाके के विशाल हिस्सों में श्रमसाध्य खोज में लगभग तीन साल लग गए। एक दिन वे सुबर्णरेखा और खरकई नदियों के संगम के पास, छोटानागपुर पठार के घने जंगलों में स्थित गांव साकची (वर्तमान में एक व्यापारिक जिला) में आए। स्टील प्लांट के लिए यह आदर्श विकल्प प्रतीत हुआ और इस स्थान का चयन किया गया। साकची एक आदिवासी गांव था, जहां मुख्यत् भूमिज और संथाल जनजाति रहते थे। अधिकांश गांवों में आदिवासी परिवारों का प्रतिशत बहुत अधिक था, जो 60% से 90% के बीच थी। आदिवासी परिवारों का प्रतिशत साकची गांव (भूमिज के 17 परिवार) और इसके दो टोले - काशीडीह (भूमिज के 18 परिवार और संथाल के 3 परिवार) और माहुलबेड़ा (संथाल के 17 परिवार) में शत प्रतिशत थी।
1908 में, संयंत्र के साथ-साथ शहर का निर्माण आधिकारिक तौर पर शुरू हुआ। पहला स्टील पिंड 16 फरवरी 1912 को लुढ़का था। यह औद्योगिक भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन था।
शहर के लिए जमशेदजी टाटा की योजना स्पष्ट थी। उन्होंने श्रमिकों की झोपड़ियों की एक पंक्ति से कहीं अधिक की कल्पना की। उन्होंने उन सभी सुख-सुविधाओं के निर्माण पर जोर दिया जो एक शहर प्रदान कर सकता है। नतीजतन, शहर के कई क्षेत्र सुनियोजित हैं और जुबली पार्क जैसे सार्वजनिक अवकाश स्थान हैं। शहर का निर्माण करते समय, जमशेदजी टाटा ने कहा था:
"चौड़ी सड़कों पर छायादार पेड़ लगाना सुनिश्चित करें, हर दूसरे में तेजी से बढ़ने वाली किस्में हों। सुनिश्चित करें कि लॉन और बगीचों के लिए पर्याप्त जगह हों; फुटबॉल, हॉकी और पार्कों के लिए बड़े क्षेत्र आरक्षित हों; हिंदू मंदिरों, मुस्लिम मस्जिदें और ईसाई चर्चों के लिए चिन्हित क्षेत्र हों।"—— जमशेदजी टाटा
पिट्सबर्ग के मेसर्स जूलिन कैनेडी साहलिन ने जमशेदपुर शहर का पहला नक्शा तैयार किया। जमशेदपुर तीन नगर निगमों, जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति, जुगसलाई नगर निगम और मानगो अधिसूचित क्षेत्र समिति के साथ एक लाख से अधिक शहर है।
1945 में यहां टाटा मोटर्स की स्थापना हुई थी। यह अब जमशेदपुर में दूसरा सबसे बड़ा उद्योग है। 2005 में एक नगर निगम प्रस्तावित किया गया था लेकिन निवासियों के विरोध के बाद ऐसा नहीं हुआ।
जमशेदपुर झारखण्ड राज्य के दक्षिणी छोर पर स्थित है और इसकी सीमा ओडिशा और पश्चिम बंगाल राज्यों से लगती है। शहर की औसत ऊंचाई 135 मीटर है, जबकि सीमा 129 मीटर से 151 मीटर तक है। जमशेदपुर का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 224 किमी वर्ग है। जमशेदपुर मुख्य रूप से एक पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है और पश्चिम से पूर्व की ओर चलने वाली दलमा पहाड़ियों और घने जंगलों से घिरा हुआ है। शहर के पास अन्य छोटी पहाड़ी श्रृंखलाएं उकाम हिल और जादुगोडा-मुसाबनी पहाड़ी श्रृंखला हैं। यह शहर बड़े छोटा नागपुर पठार क्षेत्र का भी हिस्सा है। यह क्षेत्र धारवाड़ काल से संबंधित तलछटी, रूपांतरित और आग्नेय चट्टानों से बना है।
जमशेदपुर खरकई और सुवर्णरेखा नदियों के संगम पर स्थित है। सुवर्णरेखा जमशेदपुर की प्रमुख नदी है, जो क्षेत्र के पश्चिम से दक्षिण-पूर्वी भाग में बहती है। कई छोटी नदियाँ, विशेषकर सहायक नदियाँ, इस क्षेत्र में सुबर्णरेखा नदी में मिलती हैं। खरकई दक्षिण से बहती है और दोमुहानी नामक स्थान पर सुवर्णरेखा नदी में मिलती है। दो नदियाँ शहर के लिए पीने के पानी और भूजल के प्रमुख स्रोत हैं। शहर के किनारे के पास अलग-अलग आकार की कई झीलें भी स्थित हैं। उनमें से प्रमुख दलमा पहाड़ी और खरकई नदी के किनारे स्थित सीतारामपुर जलाशय के बीच स्थित डिमना झील है। यह क्षेत्र का एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी है। ये दोनों शहर में पीने के पानी के जलाशय के रूप में भी काम करते हैं। शहर पर्णपाती प्रकार के वन क्षेत्र के अंतर्गत आता है और हरित आवरण कुल भूमि क्षेत्र का लगभग 33% होने का अनुमान है। यह शहर भूकंपीय क्षेत्र II क्षेत्र के अंतर्गत आता है। जमशेदपुर के आसपास कई पार्क हैं। साकची का जुबली पार्क जमशेदपुर का सबसे बड़ा पार्क है। इसे जमशेदजी टाटा ने बनवाया था, जो मैसूर के वृंदावन गार्डन से प्रेरित है।
जमशेदपुर के केंद्र में वाणिज्यिक क्षेत्र और मुख्य क्षेत्र हैं। मध्य जमशेदपुर में एक वित्तीय और व्यावसायिक जिला शामिल है। केंद्र में प्रसिद्ध स्थलों में जुबली पार्क और टाटा स्टील शामिल हैं। साकची और बिष्टुपुर व्यापारिक और वित्तीय जिले हैं। मध्य भाग भी शहर का सबसे पुराना हिस्सा है। शहर के पश्चिमी भाग में आदित्यपुर, गम्हरिया और सोनारी के क्षेत्र हैं । सोनारी एक आवासीय और व्यावसायिक पड़ोस है, जबकि आदित्यपुर और गम्हरिया प्रमुख औद्योगिक पड़ोस हैं। आदित्यपुर भी एक शहर और जमशेदपुर का एक हिस्सा है। गम्हरिया का एक औद्योगिक क्षेत्र है जिसका नाम गम्हरिया औद्योगिक क्षेत्र है। आदित्यपुर में आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र है । शहर को पार करने वाले पांच राष्ट्रीय राजमार्ग हैं। मानगो ब्रिज जमशेदपुर को मानगो से जोड़ता है। जमशेदपुर में मरीन ड्राइव एक लोकप्रिय सड़क और सुरम्य सैरगाह है। यह सोनारी से शुरू होकर आदित्यपुर को जोड़ती है।
आदित्यपुर में एनआईटी जमशेदपुर है । जमशेदपुर के दक्षिणी भाग में जुगसलाई, बिरसानगर, कदमा, बर्मामाइंस, टेल्को कॉलोनी , बागबेड़ा कॉलोनी और जोजोबेड़ा शामिल हैं। जुगसलाई व्यावसायिक क्षेत्र है जो थोक बाजार के लिए जाना जाता है। जबकि बिरसानगर, कदमा और बागबेड़ा में आवासीय और वाणिज्यिक केंद्र हैं। बर्मामाइंस, टेल्को कॉलोनी, बागबेड़ा कॉलोनी और जोजोबेड़ा शहर के अन्य मुख्य और प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र हैं। उत्तर के अलावा, जमशेदपुर के पूरे क्षेत्रों में कम से कम एक औद्योगिक क्षेत्र है। अन्य ऊंचे टावर टीसीई बिल्डिंग और वोल्टास हाउस हैं। जमशेदपुर में अभी कई ऊंची इमारतों का निर्माण चल रहा है। अब सबसे ऊंची बिल्डिंग सिटी सेंटर II होगी, जो आदित्यपुर में बनेगी। ये ऊंची इमारतें ज्यादातर शहर के मध्य और पश्चिमी हिस्से में हैं। जमशेदपुर में 10-14 मंजिल के भवन हैं।
जमशेदपुर एक अत्याधुनिक औद्योगिक नगरी है। यहाँ के कुछ प्रमुख कारखाने हैं:
साकची और बिस्टुपुर यहाँ का एक प्रमुख व्यापारिक केन्द्र है।
जमशेदपुर सड़क और रेल-मार्ग द्वारा पूरे देश से जुड़ा हुआ है। हावड़ा मुम्बई रेल मार्ग पर स्थित होने के कारण टाटानगर दक्षिणपूर्व रेलवे के अत्यंत व्यस्त स्टेशनों में से गिना जाता है। राष्ट्रीय राजमार्गे 18 यहाँ से होकर गुजरती है। नगर के उत्तर पूर्वी हिस्से में एक सोनारी हवाई अड्डा है जो वायुदूत की सेवाओं से जुड़ा है। शहर की ज्यादातर सड़कों का रखरखाव टाटा परिवार के द्वारा होने की वजह से यहाँ की सड़के झारखंड में अन्य शहरों की अपेक्षा काफी अच्छी हैं।
जमशेदपुर के प्रमुख शिक्षा एवं शोध संस्थान:
जमशेदपुर के निजी क्लब गोल्फ, टेनिस, स्क्वैश, बिलियर्ड्स, घुड़सवारी और वाटर स्कूटरिंग जैसी गतिविधियों के अवसर प्रदान करते हैं। जमशेदपुर एफसी जमशेदपुर में स्थित एक पेशेवर फुटबॉल क्लब है जो भारतीय फुटबॉल की शीर्ष उड़ान इंडियन सुपर लीग में प्रतिस्पर्धा करता है। क्लब का स्वामित्व टाटा स्टील के पास है। जमशेदपुर में खेल सुविधाओं और अकादमियों में शामिल हैं:
लौहनगरी के रूप में विख्यात जमशेदपुर केवल झारखंड में नहीं, बल्कि पूरे विश्व पटल पर चर्चित है। इसे टाटानगर के भी नाम से जाना जाता है। पर्यटन की दृष्टि से टाटानगर का महत्व अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी है। इसे हाल में ही इंटरनेशनल क्लीन सिटी' के अवार्ड से नवाजा गया है। लोग पूरे विश्व से इस लौहनगरी को देखने आते है। टिस्को, टेल्को जैसे अंतर्राष्टीय स्तर के कारखाने के अलावा डिमना लेक, जुबली पार्क, दलमा पहाड़, हुडको लेक, मोदी पार्क, कीनन स्टेडियम आदि ऐसे जगह है जहां पर्यटक घूम सकते है।
यह पार्क टाटा स्टील ने अपने 50 वर्ष पूरे करने के उपरान्त बनवा कर यहां के निवासियों को तोहफे स्वरुप भेंट की थी। 225 एकड़ भूमि में फैले इस पार्क का उदघाटन 1958 ई. में उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने किया था। वृंदावन गार्डन के तर्ज पर बने इस पार्क में गुलाब के लगभग एक हजार किस्म के पौधें लगे हुए हैं। इस पार्क में एक चिल्ड्रेन पार्क भी है। हाल में ही यहां एक एम्युजमेंट पार्क का निर्माण किया है। एम्यूजमेन्ट पार्क में अनेक किस्म के झूले लगे हूए है। हरेक साल 3 मार्च को जमशेदजी नौसरवानजी टाटा की याद में पूरे पार्क को बिजली के रंगीन बल्वों के द्वारा बडे़ भव्य तरीके से सजाया जाता है। इस दिन पूरे विश्व से हजारों की संख्या में लोग यहां इस कार्यक्रम में शरीक होने आते है। यह कार्यक्रम तीन दिनों तक चलता है। इस पार्क के एक हिस्से में छोटा सा चिडियाघर भी है।
पूर्व में इसे जुबली लेक के नाम से जाना जाता था। 40 एकड़ में फैले इस झील को विशेष तौर पर बोटिंग के लिए बनाया गया है। इस झील के बीचोंबीच एक आइलैण्ड का निर्माण किया गया है जो कि इसकी सुन्दरता में चार चांद लगाता है। इसके साथ ही पर्यटक बोटिंग के दौरान इस आईलैण्ड का इस्तेमाल आराम फरमाने के लिए भी करते है।
3000 फीट की ऊंचाई पर स्थित तथा 193 वर्ग किलोमीटर में फैले इस अभ्यारण्य का उदघाटन स्वर्गीय संजय गांधी ने किया था। यहां पर जंगली जानवरों को नजदीक से देखने के लिए अनेक जगह विशेष रूप से बनाए गए है जहां से पर्यटक आसानी से जंगली जानवर जैसे हाथी, हरिण, तेदूंआ, बाघ्ा आदि को देख सकते है। इसके अलावा दुर्लभ वन संपदा यहां देखा जा सकता है।.रात को दलमा पहाड़ी की चोटी से टाटानगर का नजारा बिल्कुल आकाश में टिमटिमाते तारें के समान प्रतीत होता है। यहां पर पर्यटकों के ठहरने के लिए टाटा स्टील तथा वन विभाग द्वारा गेस्ट हाउस का भी निर्माण किया गया है। यहां पर एक गुफा में भगवान शिव का प्राकृतिक मंदिर है। जिन्हें श्रद्धा से लोग दलमा बाबा कहते हैं।.इन्हें जमशेदपुर का संरक्षक देवता भी कहा जाता है।. सावन के दिनों में तथा शिवरात्रि के दिन इन मंदिरों को भव्य तरीके से सजा कर यहां पर पूजा अर्चना की जाती है। दलमा पहाड़ी हाथियों की प्राकृतिक आश्रयस्थली है।.प्रशासनिक दृष्टिकोण से देखें तो झारखंड के पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां से लेकर पश्चिम बंगाल के पुरूलिया जिले के बेलपहाड़ी तक इसका दायरा फैला है।.दलमा पहाड़ी में कई आदिवासी गांव हैं।.
यह जमशेदपुर शहर से 13 किमी की दूरी पर स्थित है। दलमा पहाड़ी की तलहटी में बने इस कृत्रिम झील को देखने सालों भर पर्यटक आते रहते है। दिसम्बर-जनवरी में महीने में पर्यटक यहां विशेष तौर पिकनिक मनाने आते है। इस झील का निर्माण टाटा स्टील ने जल संरक्षण के लिए तथा यहां के निवासियों के लिए करवाया था।
पूरे झारखंड में केवल कीनन स्टेडियम ही अंतर्राष्टीय स्तर का क्रिकेट ग्राउंड है। शहर के ठीक बीच में स्थित इस मैदान पर अब तक कई अंतर्राष्टीय क्रिकेट मैच का आयोजन हो चुका है। मोहाली क्रिकेट ग्राउंड के बाद इसे सबसे सुन्दर क्रिकेट ग्राउंड समझा जाता है।
हुडको झील जमशेदपुर में छोटा गोविंदपुर और टेल्को कॉलोनी के बीच स्थित टाटा मोटर्स द्वारा निर्मित एक कृत्रिम झील है। कंपनी द्वारा इस क्षेत्र को एक पिकनिक स्पाट के रूप में विकसित किया गया है।
मैरिन ड्राईव पर स्थित दुमुहानी, सुवर्ण रेखा और खरकई नदियों का संगम स्थल है।
इसके अलावा दोराबजी टाटा पार्क, भाटिया पार्क, टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क, जेआरडी टाटा स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स, मरीन ड्राइव, सुमंत मूलगांवकर पार्क, पटमदा में स्थित हथीखेदा ठाकुर थान, जादूगोड़ा स्थित रंकणी थान, पोटका स्थित मुक्तेश्वर धाम, गोलपहाड़ी मंदिर, भुवनेश्वरी मंदिर, सूर्य मंदिर, आदि भी ऐसे अनेक पर्यटक स्थल हैं।
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अखबारों की पहुँच के साथ-साथ जमशेदपुर से निम्नलिखित समाचारपत्र प्रकाशित होते हैं:- प्रभात खबर, उदितवाणी, दैनिक जागरण, दैनिक हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर, चमकता आईना, न्यू इस्पात मेल, आदि। इसके अलावा यहां क्षेत्रीय समाचार चैनल ई टीवी बिहार-झारखंड और सहारा समय बिहार झारखंड का भी दफ्तर है। कई पत्रिकाएं जमशेदपुर से प्रकाशित होती है जिसमें झारखंड प्रदीप, राष्ट्रसंवाद, लहर चक्र, जमशेदपुर रिसर्च रिव्यु आदि शामिल है। मीडियाकर्मियों की प्रतिनिधि संस्था जमशेदपुर प्रेस क्लब यहां कार्यरत है। इसके अलावा यहां संथाली और क्षेत्रीय भाषाओं में भी समाचार पत्र प्रकाशित होते हैं।
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मान (मदद).